Tuesday 25 February 2020

किससे नफ़रत करू , किससे प्यार ?

किससे नफ़रत करू , किससे प्यार ?

जानता हूँ जिंदगी बेबफा होती हैं
फिर भी क्यूँ,
इससे इतना प्यार करता हूँ|
हर पल इसकी खुशी की खातिर,
सोचा करता हूँ|
बचपन से मा-बाप का बात,
शिक्षको का मार खाया,
सब ने एक ही बात समझाया,
मेहनत करोगे,
जिंदगी मे कभी दुख नही आएगी,
जिंदगी हमेशा खुशी-खुशी कट जाएगी|
रात को कम सोया,
दिन को दौर-दौरकर वर्ग मे गया,
इसकी खातिर|
जून की शरीर जला देने वाली गर्मी हो,
या दिसंबर की शरीर को मोम बना देने वाली ठंडी हो |
परीक्षा देता था इसकी खातिर,
परमाणपत्र मिली दौर-दौरकर |
नौकरी ढूंढता हूँ, इसकी खातिर |
जबकि जनता हू,
यह साथ नही निभयागी,
एक दिन मुझे छोड़कर चली जाएगी,
फिर भी क्यूँ,
इससे इतना प्यार करता हूँ|
मौत जो हमेशा,
हमे अपने गले  लगाने को तैयार रहती हैं,
उसके लिए कुछ नही करता हूँ,
हमेशा उससे भगा करता हूँ,
हरपल उससे नफ़रत ही करता हूँ|
फिर भी वो क्यूँ,
मुझसे इतना प्यार करती हैं |
मेरे नफ़रत को भुलाकर,
हमेशा अपने आगोश मे लेने को तैयार रहती हैं|
आख़िर क्यूँ,
शायद यही दुनिया कि रीत हैं,
जिसे मैं निभाता हूँ|
एक बेबफा पे प्यार-ही-प्यार लुटाता हूँ,
और जो सचा प्यार करती हैं,
उससे सिर्फ़ नफ़रत-ही-नफ़रत कर पाता हूँ |
जब ही इसपे सोचता हू,
तो सोचता ही रह जाता हूँ ||

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