नारायणांशो भगवान् स्वयं धन्वन्तरिर्ममहान्।पुरा समुंद्रमथने समत्तस्थौ महोदधेः।।सर्व वेदेषु निष्णातो मंत्र तंत्र विशारदः।शिष्यो हि बैनतेयस्य शंकरस्योपशिष्यक।।
अर्थात्
भगवान धन्वंतरि स्वयं नारायण के अंश रूप मे समुद्र मंथन से प्रकट हुए। धन्वंतरि समस्त वेदो के ज्ञाता, मंत्र-तंत्र मे निष्णात गरूडजी के शिष्य तथा भगवान शंकर के उप शिष्य है।इस धन्वतरि पर्व के शुभ अवसर पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
अर्थात्
भगवान धन्वंतरि स्वयं नारायण के अंश रूप मे समुद्र मंथन से प्रकट हुए। धन्वंतरि समस्त वेदो के ज्ञाता, मंत्र-तंत्र मे निष्णात गरूडजी के शिष्य तथा भगवान शंकर के उप शिष्य है।इस धन्वतरि पर्व के शुभ अवसर पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
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